मंगळवार, २५ ऑक्टोबर, २०१६

"जिंदगीका सबक"

मैने जिंदगी को हारते देखा था 

जब हौसले टूटने लगे 😅

हँसी को रुठ्ते देखा था 

जब ख्वाब छूटने लगे 😁

महेज एक वक्त ही था 

जो बदल रहा था 😃

मैने हालात बिघडते देखा था 

जब उम्मीद मिटने लगे 🙂

मैने मंदीर सजते देखा था 

जब हार बढ़ने लगे 😀

मैने दर्गापे चादर देखी थी 

जब जरूरते बढ़ने लगे 😀

मैने बचपन की याद देखी थी 

जब पैसे कमाने लगे 🤓

मैने गरीबी मेहसूस की 

जब फुटपाथ चमकने लगे 😑

सूरज भी जाता था 

जब दिन ढलने लगे 😅

नादानीया थी सबकुछ 

बस एकही सबक था 😃

"जिंदगी अपने कंधोंपे चलती है 

दूसरो के कंधोंपे तो जनाजे उठते है" 😀😀

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